58वें निरंकारी सन्त समागम का हर्षोल्लासपूर्ण वातावरण में शुभारम्भ

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अनेकता में एकता की झलकियां दिखाते भव्य शोभा यात्रा से प्रारंभ

मानवीय गुणों से ही इन्सान की पहचान होती है – सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज

‘मनुष्य के रूप में जन्म लेने के बाद मानवीय गुणों से युक्त होने के बाद ही सही मायनों में इन्सान की पहचान होती है।’ यह उद्गार सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने महाराष्ट्र के 58वें वार्षिक निरंकारी सन्त समागम के शुभारम्भ पर मानवता के नाम सन्देश देते हुए व्यक्त किए। शुक्रवार से शुरु हुए इस तीन दिवसीय सन्त समागम में महाराष्ट्र के कोने कोने से एवं देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु भक्त एवं प्रभु प्रेमी सज्जनों ने भाग लिया है।

मिलिटरी डेअरी फार्म के विशाल मैदानों में सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं निरंकारी राजपिता रमित जी के दिव्य आगमन पर श्रद्धालु भक्तों द्वारा एक भव्य शोभा यात्रा का आयोजन किया गया जिसमें एक ओर भक्तों ने अपने हृदय सम्राट सतगुरु का भावपूर्ण स्वागत किया, वहीं दूसरी ओर विभिन्न झाकियों के द्वारा मिशन की शिक्षाओं पर आधारित महाराष्ट्र तथा भारत की अलग अलग संस्कृतियों के मिलन का अनुठा दृश्य भी प्रस्तुत किया। शोभा यात्रा में विभिन्न लोक संस्कृतियों का मनमोहक दर्शन कराती हुई झाकियां दर्शकों के आकर्षण का कारण बनीं हुई थी।

इन झाकियों में मिशन की विचारधारा, आध्यात्मिकता की महत्ता, मानव एकता एवं विश्वबन्धुत्व की भावना का विस्तार आदि बिंदुओं को उजागर किया गया। झाकियां प्रस्तुत करने वाले महाराष्ट्र के पुणे, कोल्हापुर, मुंबई, नासिक, सातारा, धुले, अहिल्या नगर, छत्रपती संभाजी नगर, नागपुर, रायगड, सोलापुर क्षेत्रों एवं हैद्राबाद आदि अन्य राज्यों के श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

समागम का मुख्य विषय ‘विस्तार – असीम की ओर’ पर आधारित एक लघु बाल कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया जिसमें 6 बच्चों ने मराठी, हिन्दी तथा अंग्रेजी भाषाओं का सहारा लेते हुए अपनी कवितायें प्रस्तुत की जिसकी श्रोताओं द्वारा अत्यधिक प्रशंसा की गई।

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