संस्थाएँ—चाहे वे सरकारें, व्यवसाय, या सामाजिक संगठन हों—समाज को दीर्घकालिक रूप से बनाए रखने के लिए बनाई जाती हैं। लेकिन कई संस्थाएँ अज्ञानता और अहंकार के कारण विफल हो जाती हैं, जबकि केवल कुछ ही सृजनशील दृष्टिकोण (Creator Attitude) अपनाकर स्थिरता प्राप्त करती हैं।
अज्ञानता: जागरूकता की कमी
अज्ञानता का अर्थ है जोखिम, बदलाव, और नवाचारों को न समझना या अनदेखा करना। जो संस्थाएँ तकनीकी प्रगति, सामाजिक परिवर्तन और पर्यावरणीय खतरों को नजरअंदाज करती हैं, वे अंततः अप्रासंगिक हो जाती हैं।
•सरकारें, जो अल्पकालिक नीतियों पर ध्यान केंद्रित करती हैं, दीर्घकालिक स्थिरता को कमजोर कर देती हैं।
•कंपनियाँ, जो ग्राहकों की प्राथमिकताओं को नजरअंदाज करती हैं, उन्हें नई प्रतिस्पर्धाएँ पीछे छोड़ देती हैं।
•अज्ञानता को शिक्षा और दूरदृष्टि से ठीक किया जा सकता है, लेकिन यदि संस्थाएँ जानबूझकर सीखने से इनकार कर दें, तो क्या होगा?

अहंकार: बदलाव को नकारने का परिणाम
अहंकार का अर्थ है सच्चाई को जानक
र भी उसे स्वीकार न करना। यह अत्यधिक आत्मविश्वास, फीडबैक को ठुकराने, और कठोर निर्णय लेने के रूप में प्रकट होता है।
•नोकिया ने स्मार्टफोन क्रांति को नका
रा, कोडक ने डिजिटल फोटोग्राफी की अनदेखी की, और अनेक सरकारें असहमति को दबाकर अपने देश को संकट में डालती रहीं।
•अहंकारी संस्थाएँ यह मानती हैं कि उनकी पिछली सफलता भविष्य में भी बनी रहेगी, लेकिन इतिहास ने बार-बार इसे गलत साबित किया है।
सजनशील दृष्टिकोण: स्थिरता का मार्ग
सृजनशील दृष्टिकोण ही अज्ञानता और अहंकार दोनों का समाधान है। यह निरंतर सीखने, अनुकूलन करने और नवाचार को अपनाने पर जोर देता है।
•सुनना, प्रयोग करना और विकसित होना—सफल संस्थानों की पहचान है।
•वे विविध नेतृत्व को सशक्त बनाती हैं, नई तकनीकों को अपनाती हैं, और दीर्घकालिक प्रभाव के लिए साहसिक निर्णय लेती हैं।
अब सवाल उठता है—क्या हम ऐसे संस्थान बना रहे हैं जो भविष्य में टिक पाएँगे, या हम उन्हें अज्ञानता और अहंकार के कारण गिरने दे रहे हैं?
📌 अज्ञानता संस्थानों को कमजोर बनाती है।
📌 अहंकार उन्हें अंधा कर देता है।
📌 सृजनशील दृष्टिकोण उन्हें स्थिरता प्रदान करता है।