ब्याज और कर: कुछ लोगों द्वारा जनसामान्य पर थोपा गया कृत्रिम बोझ

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समाज में आर्थिक असमानता बनाए रखने के लिए ब्याज (Interest) और कर (Taxes) दो सबसे महत्वपूर्ण साधन माने जाते हैं। इसे अक्सर आवश्यक आर्थिक व्यवस्था के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि यह जनसामान्य से पूंजी को सीमित वर्ग की ओर स्थानांतरित करने का एक तरीका है।
क्या वाकई ब्याज और कर आवश्यक हैं? या यह कृत्रिम रूप से बनाए गए बोझ हैं जो कुछ लोगों को अत्यधिक धन अर्जित करने का साधन देते हैं?
ब्याज: ऋण पर निर्भरता का चक्र
ब्याज, मूल रूप से, उधार दी गई धनराशि पर लगाया गया शुल्क है, लेकिन यह केवल एक दर (Rate) नहीं है, बल्कि एक आर्थिक तंत्र है जो समाज को ऋण पर निर्भर बनाता है।
ब्याज कैसे एक दासता का रूप लेता है?
1.बैंकिंग और क्रेडिट प्रणाली
•आम लोग शिक्षा, घर, व्यवसाय, और चिकित्सा के लिए ऋण लेते हैं।
•बैंक उन्हें ब्याज पर पैसा उधार देते हैं, जिससे उन्हें हमेशा मूलधन से अधिक चुकाना पड़ता है।
2.धन का सीमित वर्ग में केंद्रीकरण
•जो लोग ऋण देते हैं, वे बिना किसी उत्पादक कार्य के धन कमाते रहते हैं।
•समय के साथ, श्रमिक वर्ग से धन धीरे-धीरे बैंकों और वित्तीय संस्थानों के पास चला जाता है।
3.राष्ट्रीय ऋण और सरकार की निर्भरता
•सरकारें केंद्रीय बैंकों से भारी ब्याज दरों पर ऋण लेती हैं और फिर इसका बोझ आम नागरिकों पर डालती हैं।
•इसके बजाय यदि सरकारें ब्याज मुक्त धन सृजन करतीं, तो देश का विकास कहीं अधिक तेज़ गति से हो सकता था।
4.मुद्रास्फीति (Inflation) और मुद्रा अवमूल्यन (Currency Devaluation)
•ब्याज-आधारित आर्थिक प्रणाली कृत्रिम रूप से मुद्रास्फीति पैदा करती है, जिससे मुद्रा का मूल्य लगातार गिरता रहता है।
•इससे लोग नए ऋण लेने के लिए मजबूर होते हैं, और यह चक्र कभी नहीं रुकता।
ब्याज प्रणाली एक धन-निकासी तंत्र (Wealth Extraction Tool) है, जो जनसामान्य को ऋण के चक्र में फंसाए रखती है।
कर प्रणाली: सरकार चलाने का साधन या आर्थिक शोषण?
करों को लोक कल्याण का साधन कहा जाता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि टैक्स सिस्टम आम लोगों से धन निकालकर इसे अमीर वर्ग के पक्ष में स्थानांतरित करने का एक तरीका बन गया है।
आधुनिक कर प्रणाली की प्रमुख समस्याएं
1.अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण का साधन
•सरकारें प्रत्यक्ष कर (Direct Tax) और अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) के माध्यम से लोगों की आय का बड़ा हिस्सा वसूल करती हैं।
•बड़े कॉरपोरेट्स को कर छूट और लाभ मिलते हैं, जबकि छोटे व्यवसायों और मध्यम वर्ग पर कर का अधिक बोझ पड़ता है।
2.दोहरा कराधान (Double Taxation) और छिपे हुए शुल्क
•लोग पहले आयकर (Income Tax) देते हैं, फिर खर्च करने पर GST/VAT चुकाते हैं।
•संपत्ति कर, ईंधन कर, टोल टैक्स जैसी कई कर प्रणालियां जनता की आय को और घटा देती हैं।
3.सरकारी खर्च और ऋण का बोझ
•सरकारें कर के बावजूद कर्ज़ में डूबी रहती हैं, क्योंकि धन अक्सर अनुत्पादक परियोजनाओं, प्रशासनिक खर्चों और ब्याज चुकाने में खर्च किया जाता है।
•जनता से कर केवल कर्ज़ उतारने और सिस्टम को चलाने के लिए लिया जाता है, न कि उनके लिए नई सुविधाएं देने के लिए।
आदर्श रूप से कर प्रणाली लोक कल्याणकारी होनी चाहिए, लेकिन वर्तमान में यह केवल जनता से धन निकालकर इसे अमीर वर्ग को लाभ पहुंचाने का जरिया बन गई है।
क्या ब्याज और कर-मुक्त आर्थिक मॉडल संभव है?
इतिहास में कई सभ्यताएं बिना ब्याज और कम कर प्रणाली के सफलतापूर्वक चलती रही हैं।
संभावित समाधान
1.ब्याज मुक्त बैंकिंग (Interest-Free Banking)
•ऋण आधारित प्रणाली के बजाय लाभ-साझेदारी (Profit-Sharing) मॉडल अपनाया जाए।
•सहकारी बैंक (Cooperative Banks) और ब्याज-मुक्त वित्तीय संस्थान स्थापित किए जाएं।
2.वैकल्पिक कर प्रणाली
•आय और आवश्यक वस्तुओं पर कर लगाने के बजाय, वित्तीय लेनदेन और विलासिता वस्तुओं पर कर लगाया जाए।
•स्थानीय निकायों को कर संग्रहण की शक्ति दी जाए, जिससे धन सही दिशा में खर्च हो।
3.संप्रभु मुद्रा (Sovereign Money) प्रणाली
•सरकारें ब्याज पर ऋण लेने के बजाय अपनी मुद्रा स्वयं छापकर उत्पादन क्षेत्रों में निवेश करें।
•इससे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और जनता पर कर का बोझ कम होगा।
आर्थिक दासता की बेड़ियों को तोड़ने का समय
ब्याज और कर आर्थिक विकास के लिए आवश्यक साधन नहीं हैं, बल्कि यह धनी वर्ग द्वारा अपनी संपत्ति बढ़ाने का एक साधन बन चुके हैं।
हमें एक ऐसी प्रणाली की आवश्यकता है जो:
✔ ऋण से मुक्त हो
✔ कर प्रणाली को पारदर्शी बनाए
✔ न्यायसंगत धन वितरण सुनिश्चित करे
एक ऐसा समाज, जहां लोग अपने श्रम का पूरा फल प्राप्त कर सकें, उत्पादकता बढ़ा सकें, और अपनी संपत्ति का न्यायसंगत उपयोग कर सकें—यही सही आर्थिक विकास का मार्ग है।
अब सवाल यह है: क्या हम इस प्रणाली को चुनौती देने और वित्तीय स्वतंत्रता को पुनः प्राप्त करने के लिए तैयार हैं?
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